Aditya Joshi
Budding Author
Class 6
Bageshwar
Jaadui Khazaana !
Character : बबलू और उसका दोस्त राहुल।
Setting : प्रीतमपुर नगर
Theme : डरावनी और बहादुुरी
Genre : फैंटेसी
प्रीतमपुर नगर में एक बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था। उसका नाम बबलू था। वह होशियार और निर्भीक लड़का था। उसके घर के पास एक पुराना खंडहर था । सब कहते थे कि उस पुराने खंडहर में भूत रहते हैं। उधर कोई भी नहीं जाता था। उधर जाने से सब डरते थे।
एक दिन बबलू अपने घर के पास वाले मैदान में अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेल रहा था। अचानक उसकी गेंद खंडहर में जा गिरी। एक बच्चे ने कहा, ‘‘अरे गेंद तो खंडहर में चली गई है, वहाँ तो भूत रहते हैं।‘‘ दूसरे बच्चे ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं, मेरे पास दूसरी गेंद है, हम उससे खेल लेते हैं।‘‘ बबलू बोला, ‘‘नहीं हम अपनी पुरानी गेंद से ही खेलेंगे। भूत-वूत कुछ नहीं होता है। मैं गेंद लेने जरुर जाऊंगा।‘‘ इतना सुनते ही सभी बच्चे भाग जाते हैं और बबलू गेंद लेने खंडहर में चला जाता है।
वह अपने हाथ में एक लकड़ी का डंडा लिए खंडहर के अन्दर जाता है। वह देखता है कि अंदर मकड़ी के जाले हैं, वह मकड़ी के जालों को अपने डंडे से हटाने लगता है। तभी अचानक उसके सिर के ऊपर से चमगादड़ गुजरते हैं। आकाश में बिजली चमकने लगती है। वह थोड़ा-बहुत डर भी जाता है। उसका दिल बहुत जोरों से धड़कने लगता है। तब भी वह अपना आत्मविश्वास नहीं खोता है। वह कुछ आगे जाता है, वहाॅ उसे अपनी गेंद दिख जाती है। वह अपने गेंद को उठाकर भागने लगता है कि तभी उसकी नजर कुछ दूर पर रखे हुए सुन्दर से संदूक पर पड़ती है ।
बबलू उत्सुकतावश उस सन्दूक के पास जाता है। फिर वह यह जानने के लिए कि सन्दूक में क्या है? वह सन्दूक को खोलता है। उसमें उसे एक पत्र रखा हुआ मिलता है। वह पत्र को गौर से पढ़़ने लगता है, तो उसमें उसे किसी छिपे हुए खजाने का रहस्य लिखा हुआ मिलता है। उसमें खजाने का पता भी उसे लिखा हुआ मिल जाता है । पत्र लेक र वह तुरंत घर की ओर दौड़ता है। घर पहुंच कर वह उस पत्र को कई बार अच्छी तरह से पढ़ता है।
पत्र में लिखा होता है कि इस पत्र को जो भी नेक दिल और साहसी व्यक्ति पढ़ेगा यदि वह सच्चाई और ईमानदारी से इसमें लिखी गई निर्देशों का अनुसरण करेगा तो वह व्यक्ति आसानी से इस नक्शे की सहायता से खजाने तक पहुंच जाएगा। यदि वह इन बातों का अनुसरण नहीं करेगाा तो यह धन अपने आप लुप्त हो जाएगा। इस धन का उपयोग जरूरतमन्दों, गरीबों व असहायों की सहायता के लिए ही करना होगा। लालच व गलत तरीके से इस धन का उपयोग करने से उपयोग करने वाला अपनी स्मृति को खो बैठेगा। ठीक उसी समय उसका मित्र राहुल वहां पहुंच जाता है। बबलू उसे सारी बातें बताता है और कहता है कि कल हम दोनों मिलकर उस खजाने का पता लगाएंगे।
अगले दिन सुबह दोनों ही बच्चे तैयार होकर खजाने की खोज में निकल पड़ते हैं। पते के अनुसार वह सर्वप्रथम उत्तर की ओर जाते हैं। तत्पश्चात बाई ओर मुड़कर वहाॅ पर बरगद का पेड़ आता है। वह बच्चे वहाॅ से दाहिनी ओर मुड़ जाते हैं। पास में ही एक सुंदर सा झरना बहता हैै। उसे देखकर दोनों बच्चे बड़े खुश हो जाते हैं झरने से पानी पी कर कुछ देर वहीं बैठ जाते हैं। थकान के मारे उन दोनों की आॅखे लग जाती है। उतने में ही वहां पर एक परी आकर उन्हें पुकारती है। परी की आवाज सुनते ही दोनों बच्चे जाग जाते हैं। परी उनसे कहती ह,ै बबलू तुम खजाने की खोज में जा रहे हो ना? तुम बहुत थक चुके होगे। मैं आज तुम्हें एक जादुई कालीन देती हूॅ जिससे तुम कम ही समय में अपनी मंजिल तक पहुंच जाओगे। “
बबलू परी से धन्यवाद कहता है। वे दोनों जादुई कालीन में बैठ जाते हैं। जादुई कालीन में बैठकर दोनों बच्चे उड़ते हुए जाते हैं। कुछ ही समय पश्चात वह कालीन उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचा देती हैै। पत्र के अनुसार पास में ही उन्हें एक इमली का पेड़ दिखाई देता है। उस पर एक उल्लू बैठा हुआ दिखाई देता है।
बच्चे खुश होकर उस पेड़ के पास जाते हैं। उसी पेड़ के नीचे खजाना छिपा होता है। तभी उल्लू उनसे अपनी आवाज में कहता है, बबलू मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। बबलू पक्षियों की बोलियों को समझता था। तुम और तुम्हारा दोस्त तो बहुत ही ईमानदार व बहादुर बच्चे हो। इसी पेड़ के नीचे खजाना छिपा हुआ है। तुम इस खजाने को निकालकर इसे गरीबों व जरूरतमन्दों में बांट देना। फिर वह पेड़ के नीचे खजाना खोजने लगते हैं। वे दोनों मिट्टी खोदकर खजाने को निकालते हैं।
खजाने में उन्हें एक सोने का बहुत पुराना संदूक मिल जाता है। संदूक के अंदर सोने की अशर्फियां होती है वे बहुत खुश हो जाते हैं। बबलू कहता है, चलो राहुल अब इस संदूक को लेक र घर चलते हैं। कल हम दोनों अपने पास मैं झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीबों को यह अशर्फियां बांट देंगे। और जादुई कालीन पर बैठकर घर आ जाते हैं।
घर जाकर दोनों अपने माता-पिता को पूरी कहानी सुनाते हैं उनके मां-बाप उनसे बहुत खुश होते हैं। अगले ही दिन वे लोग पास ही गरीबों की झोपड़ियों में जाकर खजाने को बराबर-बराबर बाॅट देते हैं। गरीबों का खुशनुमा चेहरा देखकर वे बहुत खुश होते हंै। दोनों बच्चे हमेशा ईमानदारी और साहस से काम करने का प्रण लेते हैं।
घर आकर उनके माता-पिता उन्हें प्यार से गले लगा लेत े हैं।
वे कहते हैं,‘‘तुम दोनों तो बहुत ही ईमानदार बच्चे हो और उन्हैं ढेर सारा आशीर्वाद देते हैं। ऐसा सुनकर दोनों बच्चे बहुत ही खुश हो जाते हैं।
A story by Aditya Joshi
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One thing my parents do that I want to develop
See what are the qualities these little kids want to develop from their parents !
If I were the Prime Minister of the Country
See how these little kids are ready to change the world !
An idea that changed my Life
Get into the world of ideas of these small kids !
Well done..