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Mayank Joshi

Mayank Joshi

Budding Author
Bageshwar

सच्चाई की जीत

एक बार की बात है,रात के समय घने जंगल ऋषिकेश की राजकुमारी सुमन अपने साथ बेशकीमती खजाना लेकर अपने ननिहाल से वापस महल आ रही थी।

 

तभी उनके सेनापति भानु दरबारी कुटिल के संग भागता हुआ आया और बोले : “जल्दी से पालकी से घोड़ा गाड़ी पर बैठकर यहां से भागे डाकुओं का एक दल इसी तरह आ रहा है ।” राजकुमारी डर के मारे बोली “ठीक है सेनापति जी “और वहां से चली गयी, लेकिन वह इतना डर गई कि खजाने से भरी गाडी वही छोड गई । जैसे ही  राजकुमारी गई दोनों जोर हंसने लगे तभी भानु बोला “आखिरकार हमारी योजना सफल हुई ।” कुटिल ने भी भानु की हां में हां भरी और बोला “ कितनी बेवकूफ है राजकुमारी ,खजाने से भरी गाडी यहीं छोड़ गई ” दोनों खजाने की गाड़ी के अंदर गये और खजाने को एक पोटली में भरने लगे , तभी कहीं से शेर के दहाड़ने की आवाज आई। दोनो डर के मारे सारा खजाना लेकर भागने लगे लेकिन शेर ने उन्हें देख लिया और उनके पीछे पङ गया। भागते हुए कुटिल का पैर पत्थर पर लग गया और वह पेङ से टकरा गया और उसका एक दांत टूट गया और खजाने की पोटली थोड़ी सी फट गई। फटी हुई जगह से दो अंगुठिया गिर गई शेर ने उन्हें मुह में उठा लिया और फिर उनके पीछे पङ गया। रस्ते में एक शिकारी ने एक गड्ढा खोदा हुआ था,भानु और कुटिल गड्ढे से बच कर निकल गये लेकिन शेर उस गड्ढे में गिर गया गिरते हुए शेर ने एक सांप को भी गड्ढे में खिच लिया और उसे भी गड्ढे में गिर दिया, दोनो मदद के लिए चिल्लाने लगे। उस जंगल के जानवरों की एक विशेषता थी कि वह बोल सकते  थे। वहा से किशोर नाम का एक लकङहारा जा रहा था ,उसने उनकी आवाज़ सुनी और उनके पास गया ,उसने देखा की दोनो गड्ढे में गिर हुए है तो उसने उन्हें बाहर निकाला शेर ने उसे धन्यवाद कहने के लिए उसे वो दोनो अंगुठिया दे दी और सांप ने कहा” जब भी  तुम मुझे बताओगे मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगी ।” 

          कुछ दिनों बाद किशोर कुटिल के पास उन अंगुठियों को बेचने के लिए गया क्योंकि कुटिल एक सुनार भी था। लेकिन वह उन अंगुठियों को पहचान गया और किशोर पर झूठे आरोप लगाकर उसे जेल भिजवा दिया । जेल में किशोर को सांप का वादा याद आ गया और वो सांप को बुलाने लगा , सांप वहां आ गया और उससे पूछा लगा कि ” क्या हुआ?,तुम जेल में क्या कर रहे हो?” किशोर ने सब कुछ उसे कह सुनाया।  सांप बोल ” मेरे पास एक तरीका है ,कल मैं राजकुमारी को काट लुंगी और फिर तुम उन्हें बचा लेना।” यह तरकिब सुनकर किशोर बहुत खुश हुआ।      

 

अगले दिन सांप ने राजकुमारी को काट लिया, यह बात पूरे महल में फैल गई किशोर ने पहरेदारो से कहा “मुझे सांप के काटने का इलाज पता  है“| ये सुन कर पहरेदार उसे राजा के पास ले गए  राजा ने राजकुमारी के इलाज की अनुमति दी। किशोर राजकुमारी के कमरे में गया और एकांत की अनुमति ली। सांप को बुलाने  लगा। सांप ने राजकुमारी का जहर निकाल  दिया। राजा ने प्रसन्न होकर मुंह मांगा इनाम मांगने को कहा। किशोर ने उसे अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका माँगा।अनुमति पाकर दरबार लगाया गया, किशोर ने शेर को बुलाया और शेर ने सच्चाई दरबार में बताई| कुटिल और भानु की सच्चाई जान राजा ने दोनो को सजा दी और  किशोर को ढेर सारे उपहार दे विदा किया ।

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