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Divyam Kanwal

Divyam Kanwal

Budding Author
Bageshwar

भटकती आत्मा

Character– Abhinav, Sagar, Saraswati, Tantrik, Bharavnath, Shersingh
Location– Kingdome of Madurai
Theme– Horror,  Bravery
Genre– Horror
Plot– Once there was queen who killed her minister. Then the minister becomes a ghost. Now her next generation is defeating him.


बहुत
समय पहले की बात है | मदुरैई नाम के एक राज्य मे सरस्वती नामे की एक शासिका थी | उसने कई राजाओ को हराया था |

उसका एक मंत्री था शेरसिंह| वह सरस्वती से बहुत जलता था| वह चाहता था की वह उसे मारकर खुद राजा बन जाए| एक बार उसने सरस्वती को मारने के लिए एक योजना बनाई| परंतु सरस्वती को अपने गुप्त्चरो से पता चल चुका था की शेरसिंह एक चाल चल रहा है| तो उसने शेरसिंह को अपने सिपाहियो से पकड़ाकर भरीसभा के बीच उसे जिंदा जला दिया|

शेरसिंह तो मर गया परंतु उसकी आत्मा को मुक्ति नही मिली| वह अपना बदला पूरा करना चाहता था|

कुछ
दीनो बाद सरस्वती के महल से आवाज़े आने लगी| वह कहती,” मै सरस्वती व उसके वंश का नामोनिशान मिटा दूँगा“|

इससे भयभीत होकर सरस्वती एक तांत्रिक के पास गयी| तांत्रिक ने कहा की तुम्हारे मंत्री जिसे तुमने जिंदा जलाया था उसकी आत्मा को मुक्ति नही मिली है इससलिए मुझे अपने मंत्र से उसे बुलाकर इस पवित्र ब्क़्से मे क़ैद करके महल के एक गुप्त कमरे मे बंद करना होगा|तो सरस्वती और तांत्रिक महल मे जाते है| वहाँ तांत्रिक अपनी शक्ति से शेरसिंह की आत्मा को बुलाता है और बक्से के अंदर बंद करके रख देता है|

फिर
वह सरस्वती से बोलता है की यह कभी नही खुलना चाहिए नही तो यह आत्मा पूरी दुनिया को तभाकर देगी| यह कहकर तांत्रिक चला गया|

कुछ दीनो बाद तांत्रिक की मृत्यु हो जाती है और किसी कारणवश सरस्वती का राज्य तभा हो गया| सरस्वती के वंश के सिर्फ़ कुछ लोग ही बचे थे जो कही ओर बस गये थे|

अब आज का समय है| सरस्वती की 5वी पीडी के दो लोग है| वे दोनो भाई हैउनका नाम अभिनव और सागर हैवे अपना घर बदल रहे है |

समान निकालते वक्त अभिनव को एक किताब मिली| उसने सागर को भी किताब दिखाईउन दोनो ने पढ़ा की यहा किताब महारानी सरस्वती के बारे मे है|उने उस किताब मे एक नक्शा भी मिला जो सरस्वती के महल का रास्ता उसके कमरे के बारे मेबताता है| उन दोनो ने वहाँ जाने का निश्चाए किया|

वहाँ पहुँचकर उन्होने छानबीन शुरू कर दी | उन दोनो ने वह कमरा भी ढ़ूंढ दिया जहाँ वह बक्से रखा था| अभिनव के मना करते हुए भी सागर ने उस बक्से को खोल दिया| तभी बक्से से शेरसिंह की आत्मा निकलीवे दोनो बहुत डर गये| आत्मा बोली,”तुमने मुझे आज़ाद करके बहुत अच्छा कम किया | चलो अब पहले तुम्हे ही ख़त्म करे|

यह
सुनकर दोनो वाहा से भाग गये| घर आकर उन्होने देखा की एक तांत्रिक पहले से ही उनके घर मे बैठा है| उन्होने उससे पूछा ,”तुम कौन हो? ओर हम से क्या चाहते हो?इस पर तांत्रिक बोला,”मेरा नाम भैरवनाथ है|तुमने बहुत ग़लत कम किया है|वह आत्मा शेरसिंह की है ओर वह तुम से बदला लेना चाहती है|

वह
हम से बदला क्यू लेना चाहता है ? हमने क्या किया है?”तुम सरस्वती के वंशज हो|”

फिर
तांत्रिक उन्हे सब बता देता है|तो फिर ह्म उससे केसे ख़त्म कर सकते है?”सागर ने पूच्छा| भैरवनाथ ने कहा,”तुम वापस महल मे जाओ| वाहा एक गुप्त कमरे मे महारानी सरस्वती की हड्‍डी रखी है| वहाँ से हाथ की हड्‍डी लाकर शेरसिंह की आत्मा को मारना| यही शेरसिंह को ख़त्म करने का एक रास्ता है|

यह
सुनकर अभिनव और सागर डरतेडरते महल मे वापस गये| तभी महल मे चीखनेचिल्लाने की आवाज़े आने लगी| अचानक एक खंबा सागर के उपर गिर गया परन्तु अभिनव ने उसे खीच लिया जिससे सागर बच गया| फिर दोनो संभाल के आगे बादने लगे|तभी उननेह सामनेह शेरसिंह की आत्मा दिखीवे बहुत डर गये| वे तेज़ी से भागने लगे| भागतेभागते जब उन्हो ने फिचे देखा तो वहाँ कोई नही था| पर जब उन्होने आगे देखा तो उन के पसीने छूट गये| सामने शेर सिंह कुल्हाड़ी लेकर उन्हे मरने रहा है| वे भागतेभागते एक कमरे मे पहुँचे| उन्होने देखा की किसी चमत्कारी वजह से शेरसिंह उस कमेरे मे नही पा रहा था| अभिनव ने बोला,” सगर लगता है कि वह यही कमरा है जहा सरवती की हड्डियाँ है| उन दोनो ने वहाँ खोदा और उन्हे वहाँ एक हाट की हड्डी मिली| अभिनव ने फिर हिम्मत करके शेरसिंह के गया|

शेरसिंह
उसे देखते ही मारने दोड़ाजेसे ही वह पास आया अभिनव ने उसके पेट मे हड्डी डालकर उसे मार दिया| और इस तरह शेरसिंह का अंत करके दोनो भाई खुशी-खुशी अपने घर चले गये|  

 

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